सुरंग के बाहर कदम संभालकर रखना, उसकी नींद में कोई अड़चन न आएबेताल के श्राप ने उन्हें नष्ट कर दिया है और जब वो जागेंगे तो भूखे होंगे।
इसी संदेश के साथ शुरू होती है नेटफ्लिक्स पर आई वेब सीरीज, बेताल। बेताल वैसे तो हाॅरर वेब सीरीज है लेकिन जब आप देखेंगे तो निराश ही होंगे। पता नहीं क्यों भारतीय सिनेमा हाॅरर के मामले में सफल नहीं हो पाता है? हाॅरर के नाम पर कहानी जंगल, भूतिया हवेली और पुराने किस्सों में सिमट कर रह जाती है। बेताल सीरीज भी डराने में नाकाम रही और कहानी भी ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाती है।
कहानी
ये कहानी है छत्तीसगढ़ के एक आदिवासी गांव निलजा की। जहां कांट्रेक्टर अजय मुदलावन नेशनल हाइवे बना रहा है। हाइवे के बीच में एक बंद सुरंग आ जाती है जिसको मुदलावन खोलना चाहता है। गांव वाले इसका विरोध कर रहे हैं। गांव वालों का मानना है कि ऐसा करने से बहुत बड़ा संकट आ जाएगा। सुरंग को खुलवाने के लिए अजय मुदलावन स्पेशल फोर्स सीआईपीडी की बाज स्क्वाड की लीडर त्यागी से बात करता है। त्यागी अजय मुदलावन से पैसे लेकर ये काम करती हैं। त्यागी अपनी फोर्स को बताती है कि यहां के लोग नक्सली हैं और वे विकास नहीं होने देना चाहते हैं।
बाज स्क्वाड को लीड करते हैं विक्रम सिरोही। विक्रम सिरोही जो त्यागी मैम जैसा बनना चाहता है। उसे एक आॅपरेशन बार-बार याद आता है जब उसने एक मासूम की जान ले ली थी। बाज स्क्वाड उस गांव को खाली करा देती है और सुरंग के बाहर जो खड़े रहते हैं उन पर फोर्स हमला कर देती है। उसके बाद सुरंग को खोल दिया जाता है। यहीं से दिक्कत शुरू हो जाती है। जो भी सुरंग में जाता है मारा जाता है या घायल हो जाता है। उसमें से कुछ शैतान निकलते हैं जो 17वीं शताब्दी की बंदूकों से गोली चलाते हैं। सबको लगता है कि ये नक्सली हैं। उनसे बचकर वे एक बड़े-से घर में छिप जाते हैं। यहां उनको सुबह तक का इंतजार करना है। उस एक रात में क्या-क्या होता है? सिरोही उन शैतानों से बचे हुए लोगों को बचा पाता है या नहीं? उन शैतानों को सिरोही कैसे खत्म करता है? ये सब जानने के लिए आपको ये वेब सीरीज देखनी होगी।
इतना जानकर आपको ये तो समझ आ ही गया होगा कि कहानी का प्लाॅट कमजोर है। वेब सीरीज में अगर कुछ अच्छा है तो थोड़ा लुक। जिससे थोड़ा-थोड़ा हाॅलीवुड वाला फील आता है। चाहे वो राक्षस को जिस तरह से दिखाया हो या रात वाला सीन। ये सब कुछ देखने में अच्छा लगता है। मगर डराने के मामले में ये वेब सीरीज पूरी तरह से नाकाम रही है। चाहे फिर पुरानी हवेली दिखाई हो, डरावना जंगल दिखाने की कोशिश की हो, शैतान के काटने से उसके जैसा ही बनने की कहानी हो या फिर अंग्रेजों के शैतान बनने की बात हो। इतना सब कुछ दिखाने के बावजूद ऐसे मौके कम ही आएंगे जब आप डर जाएंगे।
कुछ-कुछ जगह लाॅजिक समझ नहीं आता है जैसे कि वो कुछ लोगों को काटता है और कुछ के दिमाग पर असर डालता है। हद तो तब हो जाती है जब अजय मुदलावन शैतान से एक डील करता है और शैतान मान भी जाता है। फिर ये कि ठेकेदार फोर्स से ऐसे बात करता है जैसे वो ही इनका लीडर हो और वो मान भी लेते हैं। मतलब कहानी में कभी भी कुछ भी दिखा दिया गया है। यही सब इस वेब सीरीज को खराब बनाते हैं।
किरदार
एक्टिंग की बात करें तो विक्रम सिरोही का रोल निभाया है विनीत कुमार ने। विनीत कुमार इससे पहले गैंग्स आॅफ वासेपुर और मुक्काबाज में भी काम किया है। विनीत कुमार की डायलाॅग डिलीवरी और एक्शन अच्छा है लेकिन एक्सप्रेशन के मामले में मार खा जाते हैं। उनके सामने शैतान है लेकिन उनके चेहरे पर डर नहीं दिखाई देता है। इसके अलावा अहाना कुमरा विनीत कुमार की साथी आहलुवालिया के रोल में हैं। अहाना को कम सीन मिले हैं लेकिन जब भी सीन में दिखाई देती हैं अच्छा दिखाई देती हैं। हालांकि उनके होने या न होने से कहानी और पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता है। इसके अलावा त्यागी के रोल में सुचित्रा पिल्लई, काॅन्टैक्टर अजय मुदलावन के रोल में जीतेन्द्र जोशी और आदिवासी पुनिया का रोल में दिखीं मनर्जी। इन सबने ठीक-ठीक काम किया है।
चार एपिसोड में बनी बेताल को डायरेक्ट किया है पैटिक ग्राहम और निखिल महाजन ने। इसके प्रोड्यूसर हैं ब्लमहाउस और रेड चिली एंटरटेनमेंट। रेड चिली एंटरटेनमेंट शाहरूख खान की कंपनी है। नेटफ्लिक्स पर आई इस वेब सीरीज को अच्छे कंटेंट के लिए नहीं, बस देखने के लिए देख सकते हैं। सीजन का अंत कुछ ऐसा दिखाया गया है जिससे अगला सीजन को बनाया जा सके। हालांकि इसकी उम्मीद कम है और दर्शक भी एक और बुरी हाॅरर वेब सीरीज नहीं देखना चाहेंगे।
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