Monday, June 8, 2020

चोक्ड-पैसा बोलता हैः नोटबंदी पर नहीं है ये मूवी, वो तो महज एक हिस्सा है

अनुराग कश्यप की नेटफ्लिक्स पर एक नई मूवी आई है, चोक्ड-पैसा बोलता है। सबको लग रहा है कि ये मूवी नोटबंदी और सरकार की आलोचना पर बनी है। जब किसी मूवी के बारे में पहले से राय बनने लगती है तो उसके हिट होने के चांस बढ़ जाते हैं। इस मूवी का जिस तरह से एजेंडा बना है उससे अनुराग कश्यप खुश ही होंगे। नोटबंदी मूवी का महज एक हिस्सा है लेकिन उसका होना भी बहुत जरूरी है। ये कहानी तो है रिश्तों के चोक्ड होने की, ये कहानी है सपनों के चोक्ड होने की और ये कहानी है रोज की जिंदगी के चोक्ड होने की। अचानक पैसा आने से आम आदमी की चोक्ड जिंदगी कैसी हो जाती है, उसी पर है ये मूवी।


कहानी


ये कहानी है एक मराठी महिला की। जो बैंक में काम करती है और रोज की जिंदगी से लड़ती है। उसका पति सुशांत पिल्लई बेरोजगार है। जिसका बिजनेस डूब गया है, वो घर के छुटपट काम करता है और कैरम खेलता है। उसने कई लोगों से पैसा लिया हुआ है। जिससे परेशान उसकी पत्नी सरिता को होना होता है। सरिता और सुशांत की लाइफ समस्याओं से भरी हुई है जिससे उन दोनों के बीच लड़ाई होती ही रहती है। सरिता कई चीजों से परेशान है लेकिन सबसे ज्यादा परेशान है पैसे की कमी से और दूसरा सिंक से।


सिंक से बार-बार पानी किचन में भर जाता है। एक दिन सरिता उस पाइप को खोलकर देखती है तो पूरा किचन गंदे पानी से भर जाता है। गंदे पानी के साथ सरिता को मिलते हैं पानी में डले नोटों के बंडल। सरिता उसे अपने पास रख लेती है। अगले दिन चेक करती है तो फिर से कुछ बंडल मिलते हैं। सरिता दिन में काम करती और रात में बंडल के आने का इंतजार करती। ये पैसे कहां से आ रहे हैं इसकी भूमिका मूवी की शुरू में ही बना दी जाती है। जिससे सस्पेंस का लोचा रहता ही नहीं है। खूब सारा पैसा मिलने पर सरिता बहुत खुश होती है। पांच-पांच रुपए का की बचत करने वाली सरिता शादी के गिफ्ट में दो हजार रुपए देने की बात करने लगती है। घर में सब कुछ नया-नया आना लगता है। जब ये सब कुछ हो रहा था वो अक्टूबर 2016 था।

फिर आती है वो तारीख जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नोटबंदी लगा देते हैं। अब सरिता का सारा पैसा ब्लैकमनी हो जाता है। अब होना तो ये चाहिए था कि सरिता उन पैसों को बैंक में जमा करने की कोशिश करे। मगर ऐसा होता नहीं है, होता तो कुछ और ही है। अब आगे क्या होता है? सरिता उन पैसों का क्या करती है? ये सब आपको मूवी देखने पर पता चल जाएगा।


मूवी में दिखाया गया है कि नोटबंदी के बारें में लोग क्या सोचते हैं? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में लोग का क्या कहना है? हालांकि ये भी नहीं है कि नोटबंदी की आलोचना नहीं की गई है लेकिन वो आलोचना उतनी बुरी नहीं लगती। कुछ-कुछ सीन में नोटबंदी पर व्यंग्य करते दिखाया गया है। नोटबंदी के हालातों को मूवी में बखूबी से दिखाया गया है। चाहे वो बैंक में लगी लंबी लाइनें, नोट में माइक्रो चिप की बात और मध्यम वर्गीय की नोटबंदी से परेशानी। इसके अलावा मिडिल-क्लास की लाइफ को अनुराग कश्यप ने अच्छे-से दिखाया है। पति-पत्नी की खटपट, सब्जी के बढ़ते दाम, सिंक का जाम होना और पड़ोसियों की चुगलबाजी। इन सबको बहुत को रोचक तरीके से दिखाया है। ये सब खूबी इस मूवी को देखने के लिए काफी हैं।

किरदार


एक्टिंग की बात करें तो सरिता का रोल निभाया है सैयामी खैर ने। सैयामी इससे पहले मिर्जया और स्पेशल आॅप्स में भी काम किया था। सैयामी का रोल सबसे महत्वपूर्ण है, इसमें वो अच्छी भी लगती है। उनके डायलाॅग कम हैं लेकिन जब भी बोलती है प्रभाव डालता है। शैयामी के एक्सप्रैशन इस रोल में और जान डाल देते हैं। सरिता के सुशांत के रोल में हैं रोशन मैथ्यू। रोशन मैथ्यू मलयाली सिनेमा से आते हैं। उनका इस मूवी में बाॅलीवुड डेब्यू है। बेरोजगार पति के रोल में रोशन मैथ्यू अच्छे लगते हैं। इसके अलावा अमृता सुभाष, राजश्री देशपांडे, उपेन्द्र लिमये और आदित्य कुमार भी दिखते हैं। इन सभी को पहले किसी न किसी मूवी में देख चुके हैं।


5 जून 2020 को रिलीज हुई चोक्ड मूवी को लिखा है निहित ने। इसके डायरेक्टर हैं अनुराग कश्यप और म्यूजिक डायरेक्टर हैं कर्ष काले। अगर आपको अच्छी मूवी देखना पसंद है तो राजनीति को छोड़कर ये मूवी देख डालिए। अगर आप इन सबमें फंसे रहेंगे तो अच्छा कंटेंट से दूर ही रह जाएंगे।

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