ये कहानी अब खत्म होने वाली है, जैसे हमने सोचा वैसे नहीं।
मनोज वाजपेयी अच्छे एक्टर हैं। माना जाता है कि वो जिस मूवी में होंगे वो अच्छी ही होगी। मगर मिसेज सीरियल किलर मूवी में न तो वो अच्छे दिखे और न ही मूवी। सस्पेंस-थ्रिलर के नाम पर ये वही घिसी-पटी स्टोरी है जो हम कई बार देख चुके हैं। मूवी देखने के बाद आपको अच्छी और बुरी फिल्म में अंतर समझ में आ जाएगा। नेटफ्लिक्स पर 1 मई 2020 को रिलीज हुई इस मूवी में मनोज वाजपेयी, जैक्लीन फर्नांडिस और मोहित रैना मुख्य भूमिका में हैं। डायरेक्शन से लेकर म्यूजिक तक सारे काम शिरीष कुंदर ने खुद किए हैं।
कहानी
एक हिल स्टेशन पर रहने वाले नामी गायनोलाॅजिस्ट डाॅ. मृत्युंजय मुखर्जी अपनी पत्नी सोना के साथ रहते हैं. डाॅक्टर को पुलिस छह लड़कियों की आॅनर किलिंग के मामले में गिरफ्तार कर लेती है। इंस्पेक्टर इमरान शाहिद के सबूतों से सबको लगता है कि मृत्युंजय मुखर्जी ने ही ये काम किया है। डाॅक्टर की पत्नी सोना को अपना पति निर्दोष लगता है। उसे ये इंस्पेक्टर की चाल लगती है जो उसका कभी बाॅयफ्रेंड था। सोना अपने पति को बचाने के लिए कुछ भी कर सकती है और वैसा ही कुछ करती भी। जिससे उसका पति जेल से बाहर आ जाता है। उसके बाद जो मूवी में होता है उसे ही संस्पेंस का नाम दिया गया है। आगे क्या होता है? इसके लिए आपको मूवी देखनी होगी। फिर भी मैं इतना तो बता ही देता हूं कि इतना कुछ संस्पेंस नहीं होता है जो चौंका दे।
मूवी बनाई तो गई मर्डर मिस्ट्री पर लेकिन इसमें कुछ मिस्ट्री कहीं नही दिखाई देता। कहानी जिस तरह से शुरू होती है वो थोड़ा रोमांच पैदा करता है लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है ग्राफ नीचे गिरता चला जाता है। मूवी खत्म होने से बहुत पहले ही समझ आ जाता है कि ये हत्याएं किसने की हैं। मूवी खत्म होने पर आप निराश ही होंगे। डायलाॅग भी कुछ खास नहीं हैं जो दर्शकों पर प्रभाव छोड़ सकें। गाने भी ऐसे जो मूवी खत्म होने के बाद आप भूल जाएंगे। मूवी में अगर कुछ अच्छा है तो पहाड़ और जंगलों के नजारे। इसके अलावा तो सब कुछ समय की बर्बादी लगता है।
किरदार
गायनोलाॅजिस्ट डाॅ. मृत्युंजय मुखर्जी के किरदार में हैं मनोज वाजपेयी। मनोज वाजपेयी जिस एक्टिंग के लिए सराहे जाते हैं वो इसमें नहीं दिखी। न उनका किरदार जमता है और उनकी एक्टिंग। ऐसा लग रहा था कि वे बुरी एक्टिंग की एक्टिंग कर रहे हों। मुझे याद नहीं मैंने कब मनोज वाजपेयी की इतनी खराब एक्टिंग देखी थी। मेरी तरह कई लोगों ने इस मूवी को मनोज वाजपेयी की वजह से देखी होगी। उन सबको ये मूवी और मनोज वाजपेयी निराश करते हैं।
डाॅ. मृत्युंजय मुखर्जी की पत्नी सोना के किरदार में हैं जैक्लीन फर्नांडिस। जैक्लीन इस मूवी में कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं। उनकी एक्टिंग इस मूवी में भी खराब ही है। इसके अलावा इंस्पेक्टर इमरान शाहिद का किरदार निभाया है मोहित रैना ने। मोहित रैना की हाल ही में आई बेब सीरीज भौकाल मुझे अच्छी लगी थी। इस मूवी में मोहित रैना ज्यादा अच्छे तो नहीं लेकिन ठीक-ठीक काम किया है। उनकी एक्टिंग इतनी बुरी नहीं लगती जितनी मनोज वाजपेयी और जैक्लीन की लगती है।
वैसे तो ये मूवी अच्छी नहीं है और समय की बर्बादी है। फिर भी अगर आप घर पर बोर हो रहे हैं तो इसमें टाइम खपा सकते हैं। ये मूवी कुछ नहीं तो पौने दो घंटे का टाइमपास तो करा ही देगी। अगर आपके पास करने को बहुत कुछ है तो इसको देखने का सोचिए भी मत। समय बर्बादी के साथ दिमाग भी खराब करती है ये मूवी।
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