Monday, May 18, 2020

‘पाताल लोक’ अच्छे और बुरे से बहुत आगे की बात है, कुछ अलग ही है ये

‘ये जो दुनिया है न! ये एक नहीं तीन दुनिया है स्वर्ग लोक, धरती लोक और पाताल लोक’।


व्हाट्सएप्प के एक मैसेज से शुरू होती है पाताल लोक। जब आप कुछ देख रहे हों और आप बार-बार आगे क्या होने वाला हो? उसका अनुमान लगा रहे हो लेकिन निकले कुछ और। तो वो अच्छा सिनेमा ही माना जाता है। अमेजन प्राइम पर एक क्राइम-थ्रिलर वेब सीरीज आई है जो अच्छे और बुरे सिनेमा से कहीं आगे हैं। एक बेहतर सिनेमा क्या होता है ये पाताल लोक देखकर समझ आता है। हमारे आसपास जो कुछ भी होता है उसके बारे में सबको पता है लेकिन सिनेमा में उसको पूरी तरह से दिखाने की कोशिश कम ही की जाती है। इस समाज के कुछ ऐसे ही पहलू को दिखाने की कोशिश करती है पाताललोक।

कहानी


देश के एक नामी पत्रकार को मारने की साजिश के लिए चार लोगों को पुलिस रास्ते में ही गिरफ्तार कर लेती है। इस केस को इंचार्ज बनाया जाता है आउटर जमुना पार के इंस्पेक्टर हाथी राम को। हाथी राम जो थाने को पाताल लोक कहता है। जो खुद से परेशान है और कुछ करना चाहता है। जिसे पहली बार इतना बड़ा केस मिला है और इसको पूरा करना चाहता है। बस इसी केस की कड़ी को पूरा करने की कहानी है पाताल लोक। पाताल लोक की कहानी एक पत्रकार की हत्या की साजिश और उसे साॅल्व करने की कहानी है। मगर ये सिर्फ ऊपर-ऊपर की कहानी है, असल कहानी तो कुछ और ही है। कहानी तो किसी और की है, साजिश तो कुछ और है। जिसके लिए कहानी बार-बार दिल्ली, चित्रकूट और पंजाब में जाती-रहती है। पाताल लोक की असल कहानी क्या है? इन सबके लिए तो आपको पाताललोक देखनी पड़ेगी।


पातालोक सिर्फ हाथीराम, संजय मेहरा और विशाल त्यागी की कहानी नहीं है। ये कहानी है इस समाज की, जिसमें हमारे आसपास कुछ न कुछ होता रहता है। एक दलित नेता जो अपनी गाड़ी में गंगाजल इसलिए रखता है क्योंकि दलित के घर से आने के बाद उसी से नहाना होता है। अगर पत्रकार उस खबर को छाप दे तो पत्रकार को आॅफिस तोड़ दिया जाता है। ये कहानी है कबीर एम की जो है तो मुसलमान लेकिन उसे उसके पिता ने मुसलमान नहीं बनने दिया। क्योंकि मुसलमान होने पर उसे मारा जा सकता है। एक जगह कबीर के पिता हाथीराम से कहते हैं, मैंने तो उसे मुसलमान नहीं बनने दिया और आपने उसे जिहादी बना दिया। पाताल लोक हथौड़ा त्यागी की भी कहानी है जो विशाल से हथौड़ा त्यागी बना। जिसे किसी इंसान से नहीं कुत्तों से प्यार है। जो कुत्तों से प्यार करता है वो उनको अच्छा समझता है।

धर्म, जाति और राजनीति कितनी हद गिर सकती है ये सब कुछ इसमें दिखाने की कोशिश की गई है। मीडिया के अंदर और बाहर की कहानी को भी पाताल लोक अच्छी तरह से दिखाती है। एक जगह इंस्पेक्टर हाथीराम और संजय बात करते हैं। जिसमें संजय इंस्पेक्टर से कहते हैं, मीडिया को किसी की परमिशन की जरूरत नहीं है। इस पर हाथीराम कहते हैं, आप भूल रहे हैं केस पुलिस साॅल्व करती है, मीडिया नहीं। ये डायलाॅग आज की पत्रकारिता की सच्चाई को बताती है। ऐसा ही कुछ मीडिया भी करती है कोर्ट में केस साॅल्व होने से पहले मीडिया में उसका पंचनामा हो जाता है। मीडिया क्या दिखाता है इसको भी पातालोक बखूबी बताता है। एक जगह डायलाॅग है जहां चित्रकूट के पत्रकार दिल्ली के पत्रकार से कहते हैं, न्यूज चैनल इंडिया को दिखाते हैं, हिन्दुस्तान को नहीं। ये बात जब आप सुनेंगे तो लगता है कि कहीं न कहीं ये सच भी है।


इन सबके अलावा कहानी बाप-बेटे के रिश्ते की भी है। जो हाथीराम और उसके बेटे के माध्यम से दिखाया गया है। हाथीराम अपने बेटे को अच्छी जगह पढ़ाता है लेकिन वो अपने दोस्तों के साथ पढ़ना चाहता है। यहीं से दोनों से के बीच रिश्ते बिगड़ जाते हैं। हाथीराम उस सम्मान के लिए भी इस केस को साॅल्व करना चाहता है। पाताल लोक सिर्फ एक नजरिए से बनाया गया सिनेमा नहीं है। बहुत सारे लोगों की और बहुत सारे पहलुओं को दिखाता है पाताल लोक। वेब सीरीज अच्छी बात ये है कि इसमें समय बहुत होता है जिससे आप बहुत कुछ दिखा सकते हैं। इसमें चुनौती भी होती है क्योंकि दर्शक को बांधे रखना भी बहुत जरूरी होता है। गाली और सेक्स सीन के बावजूद सारा फोकस उस पर नहीं है।

किरदार


इस वेब सीरीज की कहानी जितनी दमदार है एक्टिंग भी उतनी ही शानदार की है। सबसे बड़ी बात इसमें कोई बड़ा एक्टर नहीं है। सब कहीं न कहीं सपोर्टिंग एक्टिंग करते हुए देखे गए हैं। हाथीराम के किरदार में हैं, जयदीप अहलावत। जयदीप ने कमाल ही एक्टिंग की है, पूरी कहानी उनके इर्द-गिर्द ही चलती-रहती है। इसके अलावा सबसे ज्यादा प्रभाव डाला है अभिषेक बनर्जी ने। अभिषेक ने हथौड़ा त्यागी का किरदार निभाया है। पूरी वेब सीरीज में बहुत कम बोले हैं लेकिन अपने एक्सप्रेशन से सबको हैरत में डाल देते हैं। उनको एक्सप्रेशन से ही लगता है कि वे विलेन या कोई डाॅन है। इसके लिए उनकी तारीफ होनी चाहिए। इसके अलावा पत्रकार संजय मेहरा के किरदार में रहे नीरज काबी। नीरज काबी ने भी अच्छी एक्टिंग की। इसके अलावा गुल पनाग, इश्वाक सिंह, विपिन शर्मा, आकाश खुराना और स्वस्तिका मुखर्जी ने भी अच्छा काम किया।


पाताल लोक को बनाने का काम किया है अविनाश अरुण और प्रोसित ने। इसकी कहानी लिखी है सुदीप शर्मा ने और इसकी प्रोड्यूसर हैं अनुष्का शर्मा। फिल्लौरी, परी और एनएच 10 के बाद अनुष्का शर्मा के नाम एक और अच्छा सिनेमा जुड़ गया है। पाताल लोक के आने के बाद कहा जा सकता है कि बहुत दिनों के बाद एक अच्छा सिनेमा आया है। 9 एपिसोड की ये वेब सीरीज को आप अमेजन प्राइम पर देख सकते हैं।

No comments:

Post a Comment

शकुंतला देवी किसी गणितज्ञ से ज्यादा मां-बेटी के रिश्ते की कहानी लगती है

तुम्हें क्यों लगता है औरत को किसी आदमी की जरूरत है। एक लड़की जो खेलते-खेलते गणित के मुश्किल सवाल को झटपट हल कर देती है। जो कभी स्कूल नहीं गई ...