Sunday, May 10, 2020

म्यूजिक टीचर: इस मूवी से प्यार होना तो बनता है

‘जो ख्वाहिशें पूरी ही नहीं की जा सकती, उनका इंतजार करना कितना मुश्किल होता होगा’।

हर किसी की जिंदगी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो एक टीस बनकर रह जाता है, जिसे वो याद नहीं करना चाहता। ऐसी टीस कुछ ख्वाहिशें, इंतजार के रूप में बनी रहती है। ये इंतजार कितना बुरा और नाखुश करने वाला हो सकता है यही कुछ बताती है ये मूवी। म्यूजिक टीचर, ख्वाहिश और इंतजार के बीच घूमती है। ख्वाहिश पूरी होती या इंतजार, इसके लिए तो आपको ये मूवी देखनी चाहिए।

कहानी


म्यूजिक टीचर, वैसे तो दो लोगों की कहानी है। बेनी माधव सिंह जो एक म्यूजिक टीचर हैं और मुंबई जाकर फिल्मों में गाना चाहते हैं। पिता के गुजरने की वजह से उसे अपने गांव लौटना पड़ता है। यहां रहकर वो आसपास म्यूजिक सिखाता है। म्यूजिक टीचर का किरदार निभाया है मानव कौल ने। दूसरा मुख्य कैरेक्टर है, ज्योत्सना राॅय। ज्योत्सना, बेनी से म्यूजिक सीखती है। सिखाते-सिखाते कब ज्योत्सना जुनैई बन जाती है पता ही नहीं चलता। दोनों के बीच प्यार हो जाता है। प्यार ऐसा कि दिल खुश हो जाता है। सिर्फ बातों और एक्सप्रेशन से ही दोनों का प्रेम चलता है और जिसे देखकर खुशी होती है।


ज्योत्सना एक जगह कहती है ‘सिंगर बहुत सारे हैं दुनिया में, मगर म्युजिक टीचर आप जैसा कोई नहीं है’। बेनी जुनैई को मुंबई भेजना चाहता है और ज्योत्सना अपने म्युजिक टीचर से हर शाम गाना सुनना चाहती है। बेनी उसे मुंबई भेजता और फिर इंतजार करता है उसके आने का। उसके आने में जो वक्त होता है वो वक्त कैसे कटता है ये उसकी ही कहानी है। मूवी में एक जगह डायलाॅग है ‘तुम हर छोटी बात को इतना उलझा क्यों देते हो’? ऐसी ही कुछ उलझनें बनी रहती है कहानी में। मूवी दो फेस में चलती है एक वर्तमान में और एक जिसे बेनी याद करता है। वर्तमान में बेनी बहुत संजीदा और गंभीर रहता है। जो ज्योत्सना के बारे में जिक्र तो नहीं करना चाहता। मगर न चाहते हुए भी उसका जिक्र हो ही जाता है।

बेनी की मां चाहती है कि वो नौकरी करके, शादी कर ले। मगर वो अकेला ही रहना चाहता है या फिर किसी के इंतजार में रहता है। मूवी में एक जगह दिव्या दत्ता, मानव कौल से कहती है, अकेले तो हमेशा से थे, अब खाली हो गई हूं। बेनी माधव भी वैसे ही अकेले और खाली दिखाई पड़ते हैं। बेनी हमेशा ऐसे ही रहेगा या फिर उसका इंतजार खत्म होगा। ये सब जानने के लिए आपको ये मूवी देखनी चाहिए।


लड़का जब लड़की की तारीफ करता है तो वो झिझकता है, शर्माता है, चेहरा लाल हो जाता है। ऐसे प्रेम को दिखाती है म्युजिक टीचर। लड़की जो उसके साथ पहाड़ों में ही रहना चाहती है लेकिन टीचर के कहने पर चली जाती है हमेशा के लिए दूर। प्रेम को कुछ अलग मगर बेहतरीन तरीके से दिखाती है ये मूवी। मूवी के शुरू के कुछ ही मिनटों में इस मूवी से प्यार हो जाता है। पहाड़, नदी, वादियां, झरने, गांव ये सब कुछ मन को भाने लगता है। इसके अलावा मूवी के गाने बहुत बेहतरीन हैं। मूवी के खत्म होने के बाद भी ‘रिमझिम गिरे सावन’ तो आपकी जुबां पर चढ़ा ही रहेगा। मूवी के डायलाॅग भी बहुत अच्छे हैं, कई जगह तो पंचलाइन सुन पर वाह कहने का मन करता है।

किरदार


बेनी माधव का कैरेक्टर प्ले किया है मानव कौल ने। मानव कौल ने इस मूवी में कमाल एक्टिंग की है। अपने एक्सप्रेशन और सधी बात से अपने किरदार को मजबूत किया है। बिल्कुल सधी की हुई एक्टिंग किसे कहते हैं, ये मानव कौल के इस रोल को देखकर समझा जा सकता है। इसके अलावा दूसरे लीड रोल अमृता बागची ने किया। अमृता इस मूवी में ज्योत्सना के किरदार बखूबी किया। वे इसमें बेहद प्यारी और मासूम लगती हैं। उनका किरदार भी मासूमियत दिखाता है। इसके अलावा बेनी की मां के रोल में थी नीना गुप्ता। नीना गुप्ता का किरदार सहज और सुंदर है, जिसे उन्होंने अच्छे से किया है। दिव्या दत्ता, बेनी माधव सिंह की पड़ोसी के किरदार में थीं। दिव्या दत्ता तो हर मूवी की तरह इसमें भी शानदार थी। कुल मिलाकर सबने अच्छा काम किया।


अप्रैल 2019 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई म्युजिक टीचर सार्थक दासगुप्ता ने डायरेक्ट किया है। ऐसी मूवी कम ही बनती हैं आपको इस मूवी को देख लेना चाहिए। ये फिल्म बताती है कि सब जिंदगी परफेक्ट नहीं होती है, कुछ न कुछ दिक्कतें बनी ही रहती हैं। इसके लिए बस हमें वही करना है जो दिव्या दत्ता मानव कौल से करने को कहती हैं।

‘कभी-कभी दिल की भी सुन लेते, हर फासला दिमाग से तय नहीं किया जाता।’

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