इस समय देश में एक अलग माहौल बन गया है। पूरे देश को दो खांके में बांट दिया गया है-
देशभक्त और देशद्रोही।
जो भारत माता की जय नहीं बोलेगा, जो जय हिंद के नारे नहीं लगायेगा वो देशद्रोही है। अगर आपको देशद्रोही नहीं बोलना है तो आराम से ये नारे लगा दीजिये। 2014 के बाद राष्ट्रवाद सत्ता के गलियारे का मुख्य अंग बन गया है। इससे पहले राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रनिर्माण जैसी बातें होती थीं। इस राष्ट्रवाद को दिखाने के लिये तीन चीजों का सहारा लिया जाता है- भारत माता का नारा, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान।
लोगों को अब ध्यान रखना पड़ता है कि गलती से कहीं ये तीन चीजें करने से वो चूक न जायें। अब लोग अपने धर्म को भूलकर इस राष्ट्रवाद को याद रखना जरूरी समझते हैं। सरकार ने इस राष्ट्रवाद को लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार ने इस राष्ट्रवाद पर कई बड़े नियम बना डाले। उसके बाद तो पूरा देश उसी बाबत को दोहराने में लग गया। एक नेता, दूसरे नेता से लड़ने लगे क्योंकि वे भारत माता की जय नहीं बोल रहे थे। एक विधायक को तो सदन से ही निकाल दिया गया।
जो ऐसा सोचते हैं कि भारत माता बोलने से राष्टभक्त होने का प्रमाण मिल जाता है। उन्हें जवाहर लाल नेहरू के इन बातों को पढ़ लेना चाहिये। उसके बाद शायद आप समझ जायें कि देशभक्ति क्या चीज है और आजादी क्या है? 1मार्च 1950 को जवाहर लाल नेहरू ने एक पत्र लिखा। पत्र देश के सभी मुख्यमंत्रियों के नाम था। नेहरू लिखते हैं-
‘हममें से कुछ लोगों की ये फितरत है कि वे भारत के मुसलमानों से देश के प्रति वफादारी साबित करने और पाकिस्तान समर्थक प्रवृत्तियों की निंदा करने की मांग करती हैं। इस तरह की प्रवृत्तियां निश्चित तौर पर गलत हैं और उनकी निंदा की जानी चाहिये। लेकिन मैं समझता हूं कि हर बार भारतीय मुसलमानों के वफादारी साबित करने पर जरूरत से ज्यादा जोर डालना गलत है। वफादारी किसी आदेश या भय से पैदा नहीं होती है। ये वक्त के सहज प्रवाह में अपने आप पैदा होती है और धीरे-धीरे न सिर्फ एक प्रेरक मनोभाव बन जाती है, बल्कि व्यक्ति को लगता है कि इसी में उसका भला है। हमें ऐसे हालात बनाने होंगे, जिसमें लोगों के अंदर इस तरह के मनोभाव पैदा हो सकें। किसी भी हाल में अल्पसंख्यकों की निंदा करने और उन पर दबाव बनाने से कोई फायदा नहीं होगा।’
आज क्या हो रहा है?
आज देशभक्ति जबरदस्ती ठूंसने की बात कही जा रही है। आपको नौकरी करनी है तो भारत माता की जय बोलने होगी। आपको काॅलेज में पढ़ना है तो भारत माता की जय बोलना होगा। जवाहर लाल नेहरू इस भारत माता को भी समझते थे और भारत माता के नारे को भी। आज हम जानते ही नहीं है कि भारत माता है क्या? एक बार जवाहर लाल नेहरू ने भारत माता का मतलब समझाया था। 1920 का ये वाकया है। तब तक जवाहर लाल नेहरू किसान नेता बन चुके थे। वे पंजाब के गांव का दौरा कर रहे थे। एक गांव में जब जवाहर लाल नेहरू गये तो गांव के किसानों ने ‘भारत माता की जय’ के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने भी लोगों से बात करने से पहले भारत माता की जय का नारा लगाया।
उसके बाद नेहरू ने लोगों से पूछा कि आप जिसका जयकारा लगा रहे हैं वो भारत माता कौन है?
कुछ लोगों ने कहा कि धरती ही आपकी माता है। फिर कुछ लोगों ने कहा, ये नदी, पहाड़, खेत-खलिहान यही सब मिलकर भारत माता बनती है। तब नेहरू ने कहा-
‘‘ ये सब बातें जो आपने भारत माता के बारे में बताईं, वे हैं तो सही, लेकिन ये तो हमेशा से हैं। आखिर धरती को या नदी-पहाड़ों को तो आजादी नहीं चाहिए। आजादी तो इस धरती पर रहने वाले हम इंसानों को चाहिए। अंग्रेजी राज में जुल्म, गरीबी और भुखमरी का सामना तो आखिरकार हम भारत के लोग ही कर रहे हैं। अगर हम न हों तो इस धरती माता को भारत माता कौन कहेगा? आखिर हम जो भी कर रहे हैं, वो हम अपनी आजादी के लिए ही तो कर रहे हैं। इसलिये जब हम भारत माता की जय बोलते हैं तो हम भारत के 30 करोड़ लोगों की जय बोलते हैं। उन 30 करोड़ लोगों को आजाद कराने की जय बोलते हैं। इस तरह हम सब भारत माता का एक-एक टुकड़ा हैं और हमसे मिलकर ही भारत माता बनती है। तो जब भी हम ‘भारत माता की जय‘ बोलते हैं तो असल में अपनी ही जय बोल रहे होते हैं। जिस दिन हमारी गरीबी दूर हो जाएगी, हमारे तन पर कपड़ा होगा, हमारे बच्चों को अच्छे से तालीम मिलेगी, हम सब खुशहाल होंगे, उस दिन भारत माता की सच्ची जय होगी।’’
ऐसा ही भारत जवाहर लाल नेहरू चाहते थे जिसकी तस्वीर महात्मा गांधी ने देखी थी। क्या आज देश वैसा है? क्या हम उनके नक्शे कदम पर चल पाये? जवाब ‘न’ में ही मिलेगा। तब के लोगों को दिशा देने के लिये बेहतरीन नेता मौजूद थे। जिनके हाथों में हमारा देश था, जिन्हें पता था कि इस देश को कितनी मुश्किलों से गुजरना पड़ा है। इसकी बानगी का एक बेहतरीन किस्सा है। विभाजन के बाद देश में दंगे-फसाद हो रहे थे। महात्मा गांधी जगह-जगह जाकर लोगों को समझा रहे थे। जवाहर लाल इलाहाबाद के गांव से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक जत्था, मुसलमानों से लूटा हुआ माल लादकर जा रहा है। जब उस जत्थे ने नेहरू को देखा तो ‘महात्मा गांधी जिंदाबाद’, पंडित नेहरू जिंदाबाद’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने लगे। जवाहर लाल नेहरू ये सुनकर भड़क पड़े और चिल्लाकर बोले-
‘‘हाथ में अपने ही भाइयों से लूटा हुआ माल देकर महात्मा गांधी और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए शर्म नहीं आती। इन गंदे हाथों से बापू के नाम की मुठ्ठियां भांजते तुम्हारे हाथ नहीं कांपते।’’
वो जमाना ही और था। लोगों ने लूटपाट तो की थी लेकिन वे लुटेरे नहीं थे। देश के प्रधानमंत्री ने जब ऐसा कहा तो लोंगों ने लूट का माल रख दिया और माफी मांगी। अब का दौर ही अलग है। सरकार खुद ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रही है। सरकार खुद भारत माता के नारों पर बहस करने में लगी हुई और देश का मुद्दा बनाने में लगी हुई है। भारत माता के नाम राष्ट्रवादी गुंडे बनाये जा रहे हैं जो हाथ में डंडे लिये तैयार रहते हैं। ऐसे लोगों को पता ही नहीं है कि ये मुल्क क्या है? ये मुल्क लोगों से है न कि जमीं से। जो लोगों को मारते हैं वो भारत माता की जय करने के काबिल ही नहीं है। वो लोगों को नहीं मार रहे हैं वो भारत माता को मारने की कोशिश कर रहे हैं।
जवाहर लाल नेहरू की ये बातें पीयूष बबेले की किताब ‘नेहरू मिथक और सत्य’ से लिये गये हैं।
No comments:
Post a Comment